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🍀दो *दोस्त एक *आम* के बगीचे से गुज़र रहे थे की उन्होंने देखा के कुछ *बच्चे* एक *आम* के पेड़ के नीचे खड़े हो कर *पत्थर* फेंक कर *आम* तोड़ रहे हैं।
ये देख कर *दोस्त* बोला कि देखो कितना *बुरा दौर* आ गया कि *पेड*भी पत्थर खाए बिना *आम* नही दे रहा है।
तो दुसरे *दोस्त* ने कहा नहीं *दोस्त* तु गलत देख रहा है…
*दौर* तो बहुत अच्छा है की *पत्थर* खाने के बावजुद भी *पेड**आम* दे रहा है।
*दिल में ख़यालात अच्छे हो तो सब चीज अच्छी नज़र आती है, और*
*सोच बुरी हो तो बुराई ही बुराई नज़र आती है*
*नियत साफ है तो नजरिया और नज़ारे खुद ब खुद बदल जाते है..
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